*प्रसन्न व्यक्ति वह है, जो निरन्तर स्वयं का मूल्यांकन करते हुए सुधार करता है,,*
*जबकि दुखी व्यक्ति वह है, जो सिर्फ दूसरों का मूल्याकंन करते हुए हर समय उनकी बुराई, आलोचना, निन्दा एवं ईर्ष्या करता है!!*
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*"ना किसी से ईर्ष्या",*
*"ना किसी से होड़"!*
*"मेरी अपनी मंजिलें",*
*"मेरी अपनी दौड़ "!
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