Sunday 15 January 2017

*- माझी आई.*.

*आईचा गर्भ*
      *मला आवडलेली कविता*

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*किती मंद तो प्रकाश तूझ्या गर्भामध्ये होता.*
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*स्वर्गातला तो काळ माझ्या भोवताली होता.*
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*एकटाच मी अन माझं जग तुच होतीस.*
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*या भयान जगापासून मला लपवून तू होतीस.*
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*तूझ्या हृदयाचा आवाज किती मधुर तो होता.*
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*तुझ्या प्रत्येक स्पंदनावर माझा छोटा जीव होता.*
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*तुला मला जोड़नारी एक कोमल दोर आत होती.*
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*तुझी नाळ ती जणू वेल मला लपेटलेली होती.*
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*तुझा आवाज येता ओठ माझे हसायचे.*
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*कान माझे फक्त़ तुझ्या आवाजाला तरसायचे.*
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*तू स्वतःला किती किती जपायचीस.*
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*एक मी जगावं म्हणून तू किती किती मरायचीस.*
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*जन्म मला देताना किती सोसले तू त्रास.*
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*पण मी जगावं फक्त हाच तुझा ध्यास.*
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*गर्भातले ते महीने पुन्हा येणार नाहीत.*
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*पण मी अजूनही तुझ्याशिवाय जगू शकणारच नाही.*

            *- माझी आई.*.
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