मुलुंड़......मुलुंड...फक्त मुलुंड
वो गमीँ यो की शाम
वो " शनिवार " का जाम.
वो " सायप्रेस " की हवा.
वो " स्टेशन रोड " की शाँपीग.
वो " सिंधी " की पानी पूरी.
वो " रामलाल " का वडा पाव.
वो " श्रीराम " की कुल्फ़ी.
वो " बालराजेश्वर मंदिर " .
वो " जय गणेश " की मूवी.
वो " केळकर " M C C " की यादें.
वो " दोस्तों " का कमीनापण.
वो " L.B.S " की सडके.
जहा कितने DIL धङके.
वो मस्ती की बाते.
ऐसी है कुछ हमारे " मुलूंड़ " की यादें.
मुलूंडकर होनेकी जो है मजा. वो दुसरे किसी में नही रे राजा.🙏🙏
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