कौन से *"कपड़े"* पहनूं जिससे *मै* अच्छा लगूं ये तो हम हर रोज *सोचते हैं* *पर* कौन सा *"कर्म"* करुं जिससे मै *भगवान* को अच्छा लगूं ये कोई कभी भी *नही सोचता*
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